निम्नलिखित
वाक्यों पर ध्यान दीजिए:
1.
खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
2.
घर का भेदी लंका ढाए।
3.
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
उपर्युक्त वाक्यों में जीवन की या अनुभवजन्य
कुछ सत्य बातें कही गई हैं। बोलते समय अक्सर लोग इसका प्रयोग करते हैं व इससे
मिलती-जुलती दशा पर व्यंग्य करते हैं या उससे सीख लेते हैं। जनसाधारण में प्रचलित
कहावतें ही लोकोक्तियाँ कहलाती हैं। लोकोक्तियाँ भी मुहावरे की तरह विशेष अर्थ
प्रकट करती हैं। लोकोक्तियाँ वाक्यांश न होकर एक संपूर्ण वाक्य होता है। अपने कथन
पर बल देने के लिए लोकोक्ति का प्रयोग किया जाता है। लोकोक्ति का प्रयोग करने से
भाषा में सजीवता आती है तथा वह आकर्षक बनती है।
दी गई लोकोक्तियों का वाक्य में प्रयोग
करें
1. आ बैल मुझे मार- (स्वयं विपत्ति को बुलाना)
2. अंधों में काना राजा- (मूों में थोड़ा बुद्धिमान)
3. एक पंथ दो काज- (एक समय में दो कार्य की सिद्धि)
4. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे- (गलती होते हुए भी न मानना)
5. ऊँची दुकान, फीका पकवान- (बड़ा दिखावा, पर भीतर से खोखला)
6. एक अनार, सौ बीमार- (एक चीज
के अनेक ग्राहक)
7. कंगाली में आटा गीला- (मुसीबत में मुसीबत आ पड़ना)
8. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली- (बराबर के न होना)
9. खोदा पहाड़, निकली चुहिया- (प्रयत्न अधिक लाभ कम)
10. घर का भेदी लंका ढाए- (आपस की फूट से हानि होती है)
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