कहानी-लेखन
गधे की होशियारी, गधे को भारी
एक नमक बेंचने वाला रोज अपने घर से नमक एक गधे पर लादकर शहर में बेंचने जाया करता था।
एक दिन की बात है, नमक विक्रेता रोज की तरह गधे पर नमक लाद्कर शहर जा रहा था कि रास्ते में एक गड्ढा आया जिसमें पानी भरा था और गधा उसमें गिर गया।
और जब गधा पानी से बाहर आया तो उसे नमक का वजन बहुत कम लग रहा था क्यूँकि ज्यादातर नमक पानी में घुल गया था जिससे गधे को बहुत खुशी हुई।
नमक विक्रेता अगले दिन फिर गधे पर नमक लाद्कर बेंचने के लिये निकला और उसी गड्ढे के पास फिर पहुँचा और गधा इस बार जानबूझ कर गड्ढे में गिर गया। वजन फिर कम हो गया और गधा फिर खुश हो गया।
नमक विक्रेता ने देखा कि गधा जानबूझ कर वजन कम करने के लिये रोज गड्ढे में कूद जाता है। और नमक का नुक्शान कर देता है।
गधे को सबक सिखाने के लिये उसने एक दिन नमक की जगह कपड़े लाद दिये गधे के ऊपर और गधा रोज की तरह उस दिन भी जाकर गड्ढे में कूद गया। कपड़ा भीग गया और उसका वजन कम होने के बजाय और ज्यादा हो गया। और वो भीगा हुआ कपड़ा विक्रेता गधे पर लाद्कर शहर लेकर गया और फिर शहर से घर, जिससे गधे की हालत खराब हो गयी और उसने कसम खा ली कि अब दोबारा कभी ऐसा नहीं करूँगा।
सीख: हमेशा भाग्य (luck) काम नहीं आता, तो बुद्धि से काम लिया करो।
अभ्यास-कार्य
वर्कबुक पेज नम्बर ७१ में दिए गए मुद्दे के आधार पर कहानी लिखिए।