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अपठित पद्यांश
आज मैने-
अपने ही हाथों काट डाला है
अपना एक हाथ
काटता नहीं तो और क्या करता
जब तक थे दो हाथ
तब तक था मैं बेकार
और आज....
एक हाथ रहने पर-
अपंगों की श्रेणी में आ गया हूँ
आरक्षित सीट का
अधिकारी बन गया हूँ।
आरक्षित सीट की क्यू-
अभी तो कम लम्बी है
क्यों इस मौके को हाथ से जाने देता
और दोनों हाथ रहने पर.....
हाथ मलता रह जाता
रास्ता तो और भी था
काश अपने को पिछड़ी जाति का
सिद्ध कर पाता
अपने प्यारे हाथ को नहीं गँवाता
किंतु......
कहाँ तक सिद्ध कर पाता
हर सर्टिफिकेट पर छपी थी-
मेरी जाति........
प्र. उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही उत्तर छाँटिए ।
क. कविता में किस समस्या को उठाया गया है?
१. समाज में व्याप्त अस्पृश्यता
२. अपंगों के साथ दुर्व्यवहार
३. नौकरियों में आरक्षण व बेरोज़गारी की समस्या
४. वर्ग व जातिगत भेदभाव
ख. उस व्यक्ति ने अपना हाथ क्यों काट डाला?
१. अपंगों के लिए आरक्षित नौकरी को पाने के लिए।
२. भिक्षावृत्ति द्वारा जीवन यापन करने हेतु
३. एक हाथ बेकार होने के कारण
४. आरक्षण के प्रति विरोध जताने के लिए
ग. सर्टिफिकेट पर जाति छपी होने के कारण उसे क्या हानि थी?
१. उसके साथ समाज में भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता था।
२. वह अपनी जाति किसी को बताना नहीं चाहता था।
३. लोग उसकी जाति को लेकर उसे ताने देते थे।
४. पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियाँ उसे नहीं मिलती।
घ. हाथ मलता रह जाता का क्या अर्थ है?
१. वह अपने दोनों हाथों को आपस में मलता रहता।
२. नौकरी हाथ से निकल जाने पर पछताता रह जाता।
३. दोनों हाथों का सही उपयोग नहीं कर पाता।
४. उसे आरक्षित नौकरी मिल जाती।
ङ कविता में वर्णित व्यक्ति किस जाति का था?
१. पिछड़ी जाति
२. उच्च जाति
३. अनुसूचित जाति
४. अनुसूचित जनजाति
च. कविता के लिए उचित शीर्षक है
१. अपंग की जीवन गाथा
२. पिछड़ापन
३. कटे हाथ
४. बेरोज़गार की विवशता
2
पर्वत कहता शीश
उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ
सागर कहता लहराकर
मन में गहराई लाओ ।
समझ रहे हो क्या
कहती है , उठ-उठ , गिर-गिर तरल तरंग
भर लो , भर लो अपने मन में मीठी - मीठी
मृदुल उमंग ।
पृथ्वी कहती
धैर्य न छोड़ो , कितना ही सिर पर
हो भार
नभ कहता है फैलो
इतना , ढँक लो तुम सारा
संसार ।
(क) कौन कहता है – “ फैलो इतना , ढँक लो तुम सारा संसार ” ?
(i)पृथ्वी (ii) पर्वत (iii) नभ (iv) सागर
(ख) पर्वत क्या
कहता है ?
(i) ढँक लो संसार (ii) धैर्य न छोड़ो (iii) गहराई लाओ (iv) ऊँचे बन जाओ
(घ) गिरि , पहाड़ , अचल किस शब्द के पर्यायवाची शब्द
हैं ?
(i) पृथ्वी (ii) पर्वत (iii) नभ (iv) सागर
(घ) इन में से किस
शब्द का अर्थ ‘ कोमल ’ है ?
(i) शीश (ii) मृदुल (iii) धैर्य (iv) तरंग
(ङ) पर्वत , सागर , पृथ्वी और नभ हमें क्या देते हैं ?
(i) सीख (ii) डाँट (iii) धमकी (iv) चेतावनी
3
निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है ,
शीतल मंद सुगंध पवन हर लेता श्रम है ,
षट्ऋतुओं का विविध दृश्य अद्भुत क्रम है ,
हरियाली का फ़र्श नहीं मखमल से कम है ,
शुचि-सुधा सींचता रात में, तुझ पर चंद्रप्रकाश है ,
हे मातृभूमि ! दिन में तरणि करता तम का नाश है ।
(क) इन
पंक्तियों में किसके सौंदर्य का वर्णन हुआ है ?
(i) मातृभूमि (ii) शहर (iii)
समुद्र (iv) आकाश
(ख)
हरियाली का फ़र्श किससे कम नहीं है ?
(i) चंद्रप्रकाश से (ii) मखमल से (iii) तम से (iv)
अमृत से
(ग) शीतल
, मंद , सुंगध क्या है ?
(i) नीर (ii) हरियाली (iii) तरणि (iv)
पवन